PM e-Drive योजना से ट्रांसपोर्टर बनेंगे करोड़पति, जानिए कैसे, ट्रकवाले ध्यान दें! 100 करोड़ की सरकारी सौगात

देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें, प्रदूषण और ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए सरकार अब तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुख कर रही है। खासतौर से भारी वाहनों यानी ट्रकों के मामले में अब बदलाव की बयार चल पड़ी है। हाल ही में केंद्र सरकार ने PM e-Drive योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रक को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये के भारी-भरकम इंसेंटिव की घोषणा की है। ये फैसला न सिर्फ बड़े ट्रांसपोर्टर्स के लिए राहत की खबर है, बल्कि सड़क पर दौड़ते प्रदूषण वाले डीजल ट्रकों की संख्या घटाने की भी दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

इलेक्ट्रिक ट्रक को मिलेगा सरकार का सहारा

सरकार की इस योजना का मकसद है कि देशभर में भारी माल ढुलाई का जिम्मा अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक ट्रक संभालें। फिलहाल भारत में ज्यादातर ट्रांसपोर्ट सिस्टम डीजल आधारित है। खासतौर पर लंबे रूट्स पर चलने वाले ट्रक जो दिल्ली से बिहार, यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र और बंगाल जैसे राज्यों तक सामान पहुंचाते हैं, वे सभी डीजल पर ही निर्भर हैं। इन ट्रकों से भारी प्रदूषण होता है और सालों से पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ता रहा है। ऐसे में सरकार ने अब PM e-Drive के तहत इलेक्ट्रिक ट्रक को प्रमोट करने के लिए कंपनियों को सीधा इंसेंटिव देने का फैसला किया है। इसके लिए 100 करोड़ रुपये की राशि अलग से तय की गई है, जिससे चुनिंदा इलेक्ट्रिक ट्रकों को खरीदने पर सब्सिडी दी जाएगी।

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PM e-Drive से बदलेगा ट्रांसपोर्ट का नक्शा

PM e-Drive योजना पहले सिर्फ इलेक्ट्रिक कार और इलेक्ट्रिक बस जैसे वाहनों पर फोकस करती थी, लेकिन अब इसमें इलेक्ट्रिक ट्रक को भी शामिल कर लिया गया है। यह बदलाव ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। सरकार चाहती है कि साल 2030 तक देश की सड़कों पर एक बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक ट्रक दौड़ते दिखें। इससे डीजल की खपत घटेगी, लॉजिस्टिक्स का खर्च कम होगा और ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा मिलेगा। योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनियों को सरकार की तरफ से सपोर्ट मिलेगा और खरीदारों को सीधे छूट दी जाएगी। इससे Tata, Ashok Leyland और Eicher जैसी बड़ी कंपनियों को भी अपने इलेक्ट्रिक ट्रक लाइनअप बढ़ाने का मौका मिलेगा।

इलेक्ट्रिक ट्रक को अपनाना अभी भी एक बड़ी चुनौती

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हालांकि सरकार की मंशा साफ है, लेकिन जमीन पर इलेक्ट्रिक ट्रक को अपनाना इतना आसान नहीं है। अभी तक भारत में इलेक्ट्रिक ट्रक का बहुत सीमित इस्तेमाल हो रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत है – चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर। एक आम ट्रक हर दिन 500 से 1000 किलोमीटर तक चलता है, और ऐसे में हाई पावर चार्जिंग स्टेशन की ज़रूरत पड़ती है जो फिलहाल देश में बहुत कम हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक ट्रकों की कीमत डीजल ट्रकों से कहीं ज्यादा होती है, जिससे छोटे ट्रांसपोर्टर इसे अपनाने से हिचकते हैं। हालांकि सरकार का 100 करोड़ का इंसेंटिव कुछ हद तक इस कीमत के फर्क को कम कर सकता है।

इलेक्ट्रिक ट्रक योजना से ट्रांसपोर्टरों को राहत या सिरदर्द?

अब ट्रांसपोर्टर समुदाय के लिए यह बड़ा सवाल है कि क्या वो अपने पुराने डीजल ट्रकों को छोड़कर इलेक्ट्रिक ट्रक को अपनाएं या नहीं। कुछ ट्रांसपोर्ट यूनियनों का कहना है कि जब तक हर 200 किलोमीटर पर हाई स्पीड चार्जिंग स्टेशन नहीं बनते, तब तक इलेक्ट्रिक ट्रक का लॉन्ग रूट पर इस्तेमाल व्यवहारिक नहीं है। लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ बड़ी कंपनियों ने इसका स्वागत किया है। उनका मानना है कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ेगी, बैटरी की रेंज और चार्जिंग की स्पीड भी बेहतर होगी। ऐसे में अगर शुरुआत में थोड़ी परेशानी भी हो, तो आने वाले सालों में इससे बहुत फायदे हो सकते हैं।

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ट्रक ड्राइवरों और छोटे व्यापारियों की क्या राय है

ग्राउंड लेवल पर बात करें तो कई ट्रक ड्राइवरों को अभी तक इलेक्ट्रिक ट्रक की पूरी जानकारी भी नहीं है। वो सिर्फ इतना जानते हैं कि ये गाड़ी बैटरी से चलती है और इसमें डीजल नहीं लगता। लेकिन सवाल ये है कि अगर रास्ते में बैटरी खत्म हो जाए तो क्या होगा? वहीं छोटे व्यापारी जो 10-15 साल पुराने डीजल ट्रक से माल भेजते हैं, उनके लिए नया इलेक्ट्रिक ट्रक खरीदना किसी सपने जैसा लगता है। हालांकि अगर सब्सिडी बढ़ाई जाए और आसान लोन मिले, तो ये लोग भी धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक ट्रक की ओर जा सकते हैं।

सरकार के इस फैसले से मचेगा तगड़ा हल्ला

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PM e-Drive योजना में इलेक्ट्रिक ट्रक को शामिल करना सरकार का एक दमदार दांव है। इससे एक ओर जहां बड़े ट्रांसपोर्टर फायदा उठा सकेंगे, वहीं सरकार का पर्यावरण सुधार मिशन भी आगे बढ़ेगा। लेकिन जब तक सड़कें, चार्जिंग स्टेशन और सस्ती ई-ट्रक टेक्नोलॉजी नहीं पहुंचती, तब तक गांव-कस्बे के ट्रक वाले इस योजना से दूरी बनाए रखेंगे। अब देखना ये है कि 100 करोड़ की ये शुरुआत कितनों को चलने के लिए तैयार कर पाती है और देश की सड़कों पर कब सच में इलेक्ट्रिक ट्रक की गूंज सुनाई देती है।

Disclaimer:
यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

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