अगर आपकी बाइक या कार ज़रा सा झटका खा जाए तो गांव की बोली में यही निकलता है – “लगता है पेट्रोल कम पड़ गया!” लेकिन असल में पेट्रोल की खपत और इंजन की परफॉर्मेंस इन दो चीज़ों पर काफी हद तक निर्भर करती है – fuel injector और carburetor टेक्नोलॉजी पर। आजकल जब नई गाड़ियों की बात होती है, तो fuel injector का नाम ज़्यादा सुनाई देता है, लेकिन भारत जैसे देश में जहां पुरानी गाड़ियाँ अब भी धड़ल्ले से दौड़ रही हैं, वहाँ carburetor टेक्नोलॉजी की पकड़ अब भी बरकरार है।
कारबोरेटर टेक्नोलॉजी का देसी सफर और सीमाएँ
पुराने ज़माने की गाड़ियों में carburetor का बड़ा क्रेज था। यह एक मैकेनिकल डिवाइस होता है जो हवा और पेट्रोल को मिक्स करके इंजन में भेजता है। देसी भाषा में कहें तो यह “इंजन का खाना पकाने वाला कूकर” होता है। इसकी बनावट और काम करने का तरीका बिल्कुल सीधा होता है, और ग्रामीण इलाकों में इसकी मरम्मत भी आसानी से हो जाती है।
लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह पेट्रोल की खपत को ज्यादा कंट्रोल नहीं कर पाता। यानी जितनी बार एक्सेलेरेटर दबाओगे, उतनी बार पेट्रोल का झोंका अंदर जाएगा, चाहे जरूरत हो या नहीं। इससे माइलेज पर फर्क पड़ता है। यही वजह है कि आज की तारीख में ज्यादातर गाड़ियाँ fuel injector की तरफ बढ़ रही हैं।
फ्यूल इंजेक्टर टेक्नोलॉजी का हाई-टेक जलवा
अब बात करें fuel injector टेक्नोलॉजी की, तो यह आज की ज़माने की स्मार्ट सोच वाली टेक्नोलॉजी है। इसमें पेट्रोल एक खास दबाव के साथ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की मदद से इंजन में पहुंचता है। इसका फायदा यह होता है कि इंजन को जरूरत के हिसाब से ही फ्यूल मिलता है। यानी माइलेज बढ़िया, परफॉर्मेंस मस्त और प्रदूषण भी कम।
fuel injector का एक और फायदा यह है कि यह ज्यादा सटीक काम करता है। गाड़ी स्टार्ट करने में कम मेहनत लगती है, ठंड में भी जल्दी स्टार्ट होती है और रफ्तार भी स्मूद रहती है। यानी सीधे शब्दों में कहें तो यह “जवान खून वाला सिस्टम” है, जो आज के यंग इंडिया की जरूरत है।
गांव बनाम शहर में टेक्नोलॉजी का फर्क
गांव और कस्बों में carburetor अब भी भरोसेमंद माना जाता है, क्योंकि अगर कोई गड़बड़ हो जाए तो वहां के लोकल मिस्त्री आसानी से उसे ठीक कर लेते हैं। वहीं, fuel injector की मरम्मत थोड़ी तकनीकी होती है और इसके लिए स्पेशल टूल्स और ट्रेनिंग चाहिए होती है, जो हर मिस्त्री के पास नहीं होती। इसलिए छोटे शहरों में अभी भी carburetor गाड़ियों का बोलबाला है।
लेकिन जब बात आती है शहरों की, तो fuel injector ही पहली पसंद बन चुका है। नई कार और बाइक कंपनियां अब carburetor सिस्टम बंद कर चुकी हैं। खासकर जब से BS6 नियम आए हैं, fuel injector टेक्नोलॉजी ही नियमों के अनुसार फिट बैठती है।
माइलेज, स्पीड और सर्विस में कौन भारी?
अब असली मसला आता है – माइलेज का। तो यहां fuel injector टेक्नोलॉजी carburetor से बाज़ी मार ले जाती है। क्योंकि ये इंजन को जितनी फ्यूल की जरूरत होती है, उतना ही देता है, जिससे एक लीटर में ज़्यादा किलोमीटर मिलते हैं। वहीं carburetor बिना हिसाब किताब के फ्यूल उड़ाता है।
स्पीड की बात करें तो दोनों में बहुत बड़ा फर्क नहीं होता, लेकिन जब बात आती है स्मूद राइड की, तो fuel injector ज्यादा जवाबदार और आरामदायक होता है। सर्विस की बात करें तो carburetor की सर्विस सस्ती और आसान होती है, जबकि fuel injector की सर्विसिंग थोड़ी महंगी और टेक्निकल होती है।
कौन सी टेक्नोलॉजी आपकी जेब और स्टाइल से मेल खाती है
अगर आप देहात से हैं, और गाड़ी ज्यादा हाई-टेक नहीं चाहिए, तो carburetor अब भी आपके लिए ठीक रहेगा। सस्ता, टिकाऊ और भरोसेमंद। लेकिन अगर आप नई जनरेशन से हैं, टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखते हैं, और गाड़ी से स्टाइल और माइलेज दोनों की उम्मीद रखते हैं, तो fuel injector आपके लिए बेहतर रहेगा।
आज की तारीख में लगभग सभी नई गाड़ियाँ – चाहे वो Hero की बाइक हो या Maruti की कार – fuel injector टेक्नोलॉजी पर ही चल रही हैं। मतलब अब समय आ गया है कि हम पुरानी सोच से निकलकर नई टेक्नोलॉजी को अपनाएं, ताकि हमारी गाड़ी भी चले स्मार्ट तरीके से और जेब भी खुश रहे।
नई टेक्नोलॉजी पर जनता का देसी रिएक्शन
जैसे ही गांव में कोई fuel injector वाली बाइक ले आता है, लोग घेर के खड़े हो जाते हैं – “अरे ई का है, बिना चोक दिए स्टार्ट हो गई?” लोग इस बात से हैरान रहते हैं कि इतनी जल्दी कैसे स्टार्ट हो गई और कैसे स्मूद चल रही है। लेकिन जब सर्विस टाइम आता है और ₹100 की जगह ₹500 लगते हैं, तो वही लोग कहते हैं – “हमार पुरानी Splendor ही भली थी!”
तो भाई लोगों, अब फैसला आपके हाथ में है। आप चाहें तो पुरानी टेक्नोलॉजी के साथ अपनी गाड़ी चलाते रहें या फिर fuel injector की दुनिया में कदम रखें। बस इतना जान लीजिए – दोनों के अपने मजे हैं और अपने झमेले!
Disclaimer:
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