गाड़ी खरीदते वक्त आप लुक्स और माइलेज तो जरूर देखते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी पसंदीदा कार किसी हादसे में आपकी कितनी हिफाजत कर पाएगी? भारत में जैसे-जैसे सड़कें चौड़ी होती जा रही हैं और रफ्तार बढ़ रही है, वैसे-वैसे कार सेफ्टी रेटिंग भी अब उतनी ही अहम होती जा रही है। Global NCAP जैसी एजेंसियाँ हर साल कारों की सेफ्टी रेटिंग जारी करती हैं और इस बार की रिपोर्ट ने कुछ कारों की पोल खोल दी है।
भारत में सबसे कम सेफ्टी रेटिंग वाली कारें
हाल ही में जारी हुई कार सेफ्टी रेटिंग लिस्ट में कुछ बेहद पॉपुलर कारों को सबसे कम रेटिंग मिली है, जिसने लोगों को चौंका दिया है। इनमें से कई कारें ऐसी हैं जो मिडिल क्लास परिवारों की पहली पसंद होती हैं, लेकिन सेफ्टी के मामले में ये गाड़ियाँ दो कदम पीछे रह गईं। Global NCAP के मुताबिक Maruti Suzuki Eeco, Maruti Suzuki WagonR, और Maruti Suzuki Alto K10 जैसी गाड़ियों ने सबसे कम स्कोर किया है।
Maruti की ये कारें भले ही किफायती हों और माइलेज में अव्वल मानी जाती हों, लेकिन जब बात कार सेफ्टी रेटिंग की आई, तो ये खरी नहीं उतरीं। इन गाड़ियों को क्रैश टेस्ट में केवल 1 स्टार या उससे भी कम रेटिंग मिली है, जो दर्शाता है कि किसी एक्सीडेंट की स्थिति में ड्राइवर और पैसेंजर की सुरक्षा बेहद कमजोर हो सकती है।
क्रैश टेस्ट में सामने आई असली हकीकत
Global NCAP का क्रैश टेस्ट अब पहले से ज्यादा सख्त हो चुका है, जिसमें कार की संरचना, एयरबैग्स, ब्रेकिंग सिस्टम, और बच्चों की सुरक्षा जैसे कई मापदंडों पर जांच की जाती है। इस बार के टेस्ट में जो गाड़ियाँ सबसे पीछे रहीं, उन्होंने न केवल बड़ों के लिए बल्कि बच्चों के लिए भी कम स्कोर किया।
Maruti Suzuki Alto K10 को एडल्ट प्रोटेक्शन में सिर्फ 2 स्टार मिले, जबकि चाइल्ड प्रोटेक्शन में सिर्फ 0 स्टार। वहीं Maruti Suzuki Eeco ने भी सेफ्टी के मामले में काफी निराश किया और उसे एडल्ट सेफ्टी में 0 स्टार मिले। WagonR को भी केवल 1 स्टार मिला, जिससे यह साफ हो गया कि इन कारों में सफर करना खतरे से खाली नहीं है।
सेफ्टी फीचर्स का घोर अभाव
इन गाड़ियों में से कई में बेसिक सेफ्टी फीचर्स जैसे 6 एयरबैग्स, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और ISOFIX चाइल्ड सीट माउंट्स नहीं मिलते, जो अब बाजार में उपलब्ध अन्य गाड़ियों में सामान्य हो चुके हैं। जबकि कुछ कारें तो ऐसी भी हैं जिनकी बॉडी स्ट्रक्चर ही कमजोर पाई गई।
यही वजह है कि सरकार भी अब गाड़ियों की सेफ्टी को लेकर सख्ती दिखा रही है और जल्द ही सभी नई कारों में 6 एयरबैग्स अनिवार्य किए जाने की योजना है। लेकिन जब तक ये नियम लागू नहीं होते, तब तक ग्राहकों को खुद ही कार सेफ्टी रेटिंग देख कर खरीददारी करनी होगी।
दिखावे की नहीं, सुरक्षा की हो सोच
भारत जैसे देश में जहाँ सड़क हादसों की संख्या बेहद ज्यादा है, वहाँ सिर्फ माइलेज और लुक्स देखकर गाड़ी खरीदना अब समझदारी नहीं रही। गाड़ियों की चमक-दमक और कम कीमत से ऊपर उठकर लोगों को सेफ्टी को प्राथमिकता देनी चाहिए। आज बाजार में कई ऐसी गाड़ियाँ उपलब्ध हैं जो सस्ती होने के बावजूद 4 या 5 स्टार कार सेफ्टी रेटिंग ले चुकी हैं।
अगर आपकी कार तेज टक्कर झेल ही नहीं सकती, तो बाकी सारे फीचर्स भी बेकार हैं। यही वजह है कि Global NCAP की रिपोर्ट को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह रिपोर्ट आपकी जान बचाने का काम कर सकती है।
अब गाड़ी खरीदने से पहले करो दो मिनट का होशियारी वाला ब्रेक
अब समय आ गया है जब हम सिर्फ सस्ती या फेमस गाड़ी देखकर नहीं, बल्कि उसकी कार सेफ्टी रेटिंग को देखकर फैसला लें। वरना क्या फायदा ऐसी गाड़ी का जो एक्सीडेंट में साथ न दे सके? अगली बार जब आप गाड़ी खरीदने जाएं, तो शोरूम में चमकते बॉडी पेंट से नजर हटाकर पूछिए – “इसकी सेफ्टी कितनी दमदार है?” और जब जवाब सही मिले तभी पैसे निकालिए।
क्योंकि गाड़ी अगर सेफ नहीं है, तो रफ्तार का मजा भी डर के साए में ही रहेगा।
Disclaimer:
यह लेख केवल सूचना के लिए है। किसी भी निर्णय से पहले स्वयं शोध करें। लेखक या प्रकाशक किसी नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।
